एचआरटीसी और मुझ जैसे इमोशनल फ़ूल
ये उस समय की बात है जब जीएस बाली हिमाचल प्रदेश के परिवहन मंत्री हुआ करते थे और उन्होंने एचआरटीसी के बेड़े में वोल्वो बसों को शामिल किया। एक बस बैजनाथ से भी दिल्ली के लिए चलना शुरू हुई। मेरी तरह और भी कई लोग जोगिंदर नगर से बैजनाथ जाकर ये बस पकड़ा करते थे। फिर ख्याल आया कि क्यों न परिवहन मंत्री से गुज़ारिश की जाए कि जोगिंदर नगर के लिए एक वोल्वो बस होनी चाहिए।
मैंने बस पर लिखे परिवहन मंत्री के नंबर पर मेसेज कर दिया कि बैजनाथ की बस को अगर जोगिंदर नगर एक्सटेंड कर दिया जाए तो यहां की सवारियों को भी सुविधा हो जाएगी और बैजनाथ तो कवर हो ही जाएगा। एक हफ्ते बाद उसी नंबर से फोन आया- मैं जीएस बाली बोल रहा हूं, आपका सुझाव मिला, हम इस पर काम कर रहे हैं।
शुरू में यकीन नहीं हुआ कि कोई मंत्री किसी रैंडम मेसेज पर खुद कॉल बैक कर सकता है। ख़ैर, दो महीने के अंदर जोगिंदर नगर से वाया कांगड़ा वोल्वो बस शुरू हो गई। इसके कुछ समय बाद दिल्ली के इंडिया इंटरनैशनल सेंटर के सभागार में एक कार्यक्रम के इतर जीएस बाली से पहली बार मिलना हुआ।
बातचीत के दौरान मैंने जोगिंदर नगर से वोल्वो शुरू करने के लिए शुक्रिया कहा और इसी दौरान एक और सुझाव यह भी दे दिया कि जोगिंदर नगर से वाया मंडी एक और वोल्वो बस शुरू की जा सकती है। उन्होंने उसी समय किसी अधिकारी को फ़ोन घुमा दिया और कहा कि फिज़ीबिलिटी पता करके बताएं।
अगले कुछ ही महीनों में जोगिंदर नगर से वाया मंडी बस चलना शुरू हो गई। अगली मुलाकात पर मैंने उन्हें शुक्रिया कहा तो उनका कहना था- "सरकार और मंत्रियों के पास समस्याएं लेकर सभी आते हैं, साथ में समाधान भी लेकर आएं तो हमें सुविधा होती है। कई बार हम इतने व्यस्त होते हैं कि मामूली बातों पर भी ध्यान नहीं जाता। हमारे पास बसें हैं, उनके रूट मैनेज करना बड़ी बात नहीं है।"
उसी दौरान शायद बीड़ से भी एक वोल्वो बस चलने लगी थी जो अब तक चल रही है (मगर आगे की गारंटी नहीं), जबकि जोगिंदर नगर से कोई भी वोल्वो बस दिल्ली नहीं जाती। पहले कांगड़ा से होकर जाने वाली बस बंद हुई, अब मंडी से होकर जाने वाली बस भी बंद कर दी गई। कहा जा रहा है कि घाटा हो रहा है। लेकिन घाटा हो किसका रहा है?
एचआरटीसी को घाटे की इतनी ही चिंता होती तो सरकार का ही परिवहन विभाग इस घाटे के लिए जिम्मेदार निजी वोल्वो पर कार्रवाई कर देता। और लोगों को भी घाटा नहीं, फायदा हो रहा था क्योंकि बिना रोड टैक्स दिए सस्ता किराया लेने वाली निजी वोल्वो उन्हें एचआरटीसी की बसों से बेहतर लग रही थीं।
असल में घाटा है मेरे जैसे लोगों के लिए जिनके लिए एचआरटीसी कोई बस सेवा नहीं बल्कि एक इमोशन है। एक ऐसा इमोशन जो यहां दिल्ली में इन बसों के दिखने पर उमड़ पड़ता है। इमोशनल फ़ूल शब्द ही मुझ जैसों पर सटीक बैठता है जो एक बस सेवा बंद होने पर इतने व्यथित हो जाते हैं कि नेताओं और मंत्रियों को सोशल मीडिया पर कोसने लग जाते हैं।
हां, अब एचआरटीसी वोल्वो बंद होने से निजी बसों का किराया भी मनमाना हो जाएगा, जो पहले पीक सीज़न में भी तभी बढ़ता था, जब एचआरटीसी की सीटें बुक हो चुकी होती थीं। वरना एचआरटीसी का किराया इनके लिए कैप की तरह काम करता था। लेकिन अब यह कैप ख़त्म हो चुकी है और अलग-अलग नाम से दौड़ रही कई निजी बसों का मालिक एक ही है। तो प्रतियोगिता ख़त्म होने और मनॉपली के आगाज के लिए बधाई।
Comments